दिल की लगी

पूर्णिका _ दिल की लगी।

दिल में समा के आप क्यों दिल जलाने लगे।
मुझसे प्यार का वादा गैर से दिल लगाने लगे।

जख्मी जिगर का हाल बेहाल क्या बताएं।
देकर दर्द ए दिल आप क्यों मुस्कुराने लगे।

हद से ज्यादा प्यार किया है मैंने तुमको।
दगा दे के जख्मों मेरे नमक मिलाने लगे।

माना की बागों बाहर गुलों गुलनार हो तुम।
फूलो की रंगत गुलाबो चंद्रमुखी कहाने लगे।

चाहे लाख बना लो अब दूरियां तुम मुझसे।
रोज रातों को ख्वाबों में तुम आने जाने लगे।

श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड

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5 Comments

Mohammed urooj khan

31-Oct-2023 04:17 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Babita patel

26-Oct-2023 08:25 AM

लाजवाब

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Sarita Shrivastava "Shri"

25-Oct-2023 06:54 PM

वाह! बेहतरीन सुन्दर विचार प्रस्तुति👌👌🌹🌹

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